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मुनू बंदर स्कूल चला: एक हास्यप्रद कहानी:- एक छोटे से जंगल में मुनू नाम का एक नटखट बंदर रहता था। मुनू को हर समय शरारत करने का शौक था—पेड़ों पर उछल-कूद, फलों को चुराना और अपने दोस्तों को चिढ़ाना। एक दिन, जंगल के सभी जानवरों ने सोचा कि मुनू को कुछ सीख लेनी चाहिए, ताकि वह समझदार बने। इसलिए उन्होंने फैसला किया कि मुनू को स्कूल भेजा जाए!
स्कूल का पहला दिन
सुबह-सुबह मुनू को उठाया गया और उसकी मम्मी-डैडी ने उसे नई थैली दी, जिसमें एक केला, एक पेंसिल और एक कॉपी रखी गई। मुनू बोला, "अरे, मैं तो फल खाकर खेलता हूँ, स्कूल में क्या करूँगा?" लेकिन सभी जानवरों ने कहा, "चलो, मुनू, वहाँ पढ़ाई और मस्ती दोनों होगी!"
स्कूल में पहुँचते ही मुनू ने देखा—शेर सर थे, हिरन मैडम थीं, और कबूतर साहब अटेंडेंस ले रहे थे। मुनू को पहली बार डर लगा, लेकिन फिर उसने सोचा, "अरे, मैं तो जंगल का राजा हूँ, डरने की क्या बात!"
पहली गलती
पहली क्लास में शेर सर ने पूछा, "मुनू, 1+1 कितना होता है?" मुनू ने तुरंत जवाब दिया, "दो केले!" सारी क्लास हँस पड़ी, और शेर सर का मुँह लटक गया। उन्होंने डाँटा, "नहीं, बेटा, दो!" मुनू बोला, "अरे सर, अगर दो केले हों तो मैं एक खा लूँगा, एक दोस्त को दूँगा—यह मेरा तरीका है!" शेर सर हैरान रह गए, लेकिन हँसने से खुद को रोक नहीं पाए।
दोस्तों की शरारत
दूसरी क्लास में हिरन मैडम ने कहा, "अब गाना गाओ।" मुनू ने "चूहा-चूहा" गाना शुरू कर दिया और अचानक कूदकर कबूतर साहब की टोपी चुरा ली! कबूतर साहब चिल्लाए, "मुनू, यह क्या हरकत है?" मुनू हँसते हुए बोला, "सर, मैं तो स्कूल में मस्ती कर रहा हूँ, जैसा जंगल में करता हूँ!" हिरन मैडम ने उसे डाँटा, लेकिन अंदर ही अंदर उन्हें भी मज़ा आ रहा था।
लंच का ड्रामा
लंच टाइम में मुनू ने अपनी थैली से केला निकाला और उसे खाने लगा। तभी एक छोटा सा खरगोश आया और बोला, "मुनू भैया, मुझे भी दे दो!" मुनू ने कहा, "अरे, यह तो मेरा स्कूल लंच है, लेकिन ठीक है, आधा-आधा बाँट लें!" फिर उसने केले को बीच से तोड़ा, लेकिन इतनी तेजी से कि केला फिसलकर शेर सर के सिर पर जा गिरा! सारी क्लास ठहाके लगाने लगी, और शेर सर ने कहा, "मुनू, तू तो स्कूल का सिरदर्द बन गया!"
आखिरी सबक
अंत में, कबूतर साहब ने मुनू को एक पेड़ पर चढ़ने का टेस्ट दिया। मुनू ने इतनी तेजी से पेड़ चढ़ा कि सारा स्कूल तालियाँ बजाने लगा। शेर सर ने मुस्कुराते हुए कहा, "मुनू, तू पढ़ाई में कमजोर है, लेकिन जंगल के हुनर में नंबर वन है!" मुनू ने जवाब दिया, "सर, मैं तो स्कूल में मस्ती करने आया था, पढ़ाई तो बाद में सीख लूँगा!" सभी हँस पड़े, और मुनू को स्कूल का "मस्ती किंग" घोषित कर दिया गया।
बच्चों के लिए हँसी की सीख
यह कहानी बच्चों को सिखाती है कि पढ़ाई जरूरी है, लेकिन थोड़ी मस्ती भी ज़िंदगी में मज़ा लाती है। मुनू ने दिखाया कि अपनी खूबियों को पहचानना और दूसरों को हँसाना भी एक हुनर है! तो, स्कूल जाओ, पढ़ो, और थोड़ा मुनू की तरह मस्ती भी करो—लेकिन केला सर के सिर पर मत फेंकना, ओके?
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